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यम राज

आ ! यम, बैठ मेरे पास बहुत बड़ा है मेरा ये कमरा तू भी महसूस कर, इस अकेलेपन को। बैठ गया ! तो बता कैसा है मेरे बारे में क्यों पूछ रहा मुझसे सिर्फ दर्द की कहानियां मिलेंगी। बैठा रह ! मैं चाय लाता हूँ डावेटिज तो नही है न तुम्हें? मैं उनकी यादों के मिठास से घुला करता हूँ। यार तुम ! सच में आये हो ! आने में इतनी देर कैसे लगा दी ? हाँ ट्रेफिक तो सच मे बढ़ ही गया है। मेरे मित्र ! ये दो बिस्किट कौन खायेगा ? ना…ही इन्हें वापस से डब्बे में नही रख सकता पॉकिट में भर ले.. पॉकिटमार कम हैं। कब से ? जब से डिजिटल हुए आजकल सीधे बैंक से धन गोल किया करते हैं अब तो चोर भी हाइ टेक हो गए हैं। चलो फिर! दोनों चलते हैं से क्या मतलब?? मैं नही जाने वाला, मैं यहाँ अकेला हूँ किसने कहा? संग मेरे अकेलापन भी रहता है। क्या कहा ! मैं झूट कह रहा, नही तो.. तुम्हारी इतनी साहस की मुझे झूठा कह रहे हो?? अब सच कोई सुनता कहाँ? नही बाबा ! तुम जाओ, और हाँ जाते जाते साथ अपने इन स्मृतियों को लेते जाना मैं नही चाहता कि मुझे डावेटिज हो.. अपना ख्याल रखना... यम! महीने में एक दो बार