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एकलव्य

महाभारत को काल्पनिक कहने वाले कभी एकलव्य को काल्पनिक नहीं कहते हैं। वैसे सनातनी आस्था वाले लोग तो महाभारत को भी वास्तविक ही मानते हैं और महाभारत की घटनाओं को भी, जो कि सर्वथा उचित भी है। महर्षि वेदव्यास प्रणीत सर्वलोकोपकारी, इस विशाल महाग्रंथ में सभी कर्तव्य, धर्म और तत्वों का सार निहित है। हम आज इस बात पर चर्चा करेंगे कि क्या एकलव्य और बर्बरीक पर कोई अत्याचार हुआ था ? क्या एकलव्य का अंगूठा कटवाना अथवा महाभारत युद्ध से पूर्व ही बर्बरीक का मस्तक काटना, अत्याचार या शोषण नहीं था ? महाभारत स्वयं तो एकलव्य एवं बर्बरीक का कोई विस्तृत वर्णन नहीं करता, अपितु सांकेतिक वर्णन करता है, किन्तु उसके खिलभाग हरिवंशम् में अथवा वेदव्यास कृत अन्य ग्रंथों में इनका व्यापक वर्णन मिलता है। सर्वप्रथम हम बर्बरीक पर चर्चा करेंगे। बर्बरीक अत्यंत पराक्रमी राक्षस थे। ये भीम और हिडिम्बा के संयोग से उत्पन्न राक्षसराज घटोत्कच, जो कामाख्या के निकट में मायांग (मायोंग) के राजा थे, के पुत्र थे। इनके भाई का नाम अञ्जनपर्वा एवं माता का नाम कामकटंकटा था। मतांतर से कामकटंकटा का नाम मौर्वी भी था क्योंकि यह मुर दैत्य की पुत्री