Posts

Showing posts from February, 2019

तुम शाम करो ना जिंदगी में

तुम शाम करो ना जिंदगी में मैं चला जा रहा हूँ उठ कर चौखट से रोक लो मुझे अपने मीठी बातों से, ना रुका तो मेरा हाथ थाम लेना अपने इन्ही कोमल - कोमल हाथों से… रख लो अपने सीने में सुन लूँगा तुम्हारी धड़कनों को सुनाऊँगा इन्ही से कोई कविता न जाऊँगा कभी दूर तुम्हारे सीने से… तुम शाम करो ना जिंदगी में नदिया के उसपार है मेरा गाँव कह दो, गर तुम साथ चलोगी तो पार करेंगे हम, नदीया नौका से॥ दूर जाने से नही मिलेगी मेरे मन को आनंद दूर जाने से नही मिलेगी कजरे की सुगंध, दूर होने से दोनों को ही नही आएगी निद्रा रोक लो मुझे, चाय पीने के बहाने से… न रुका तो जरा सा आवाज़ कर लेना अपने पायलों की झंकारे से… देखो तुम अंदर अकेली न जाओ अपने साथ मेरी आत्मा ले जाओ, मैं खुद को बड़े अच्छे से लूँगा संभाल यादों में बनी तुम्हारे चित्र के सहारे से… सघन मन में गहन वेदनाएं रह जाएंगी सघन वरण में गहन अश्रुएं रह जाएंगी ये और भी गहन होते चले जायेंगे मैं यथा बढ़ता जाऊंगा तुम्हारे द्वारे से… तुम शाम करो ना जिंदगी में गाँव का पथ ये लंबा बहुत है, ये स्वतः ही छोटा हो जाएगा मेरे संग, तुम्हारे उस ओर चल