बूत

बूत परस्त हूँ! अर्थात तुमसे पहले आया
तुम्हें दिखे ना, तभी आंसू सुखाते आया

खेल के मैदान में हैं विषैले कांटे
मैं उन काँटों को उखाड़ते आया

मैदान में पहुंचे थे कुछ उद्दंड लड़के
ना माने तो कान के नीचे रखते आया

काफिर को सच मे डर है पत्थरों का
तभी तो तेरे गली में बचते बचाते आया

कहते थे 370 हटाई तो आग लगा देंगे
हटा दी, तो पत्थरबाज घर को दुबकते आया

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