यार मेघ

यार बादल(मेघ) तुम भी ना यार...!!

जब भी उत्‍सव मनाने की अभ्‍यासी बगुलियाँ आकाश में पंक्तियाँ बाँध-बाँधकर नयनों को सुभग लगनेवाले तुम्‍हारे समीप पहुँचतीं हैं तब तुम धीरे हो जाते हो, कैसे??
वायु को समय बता कर रखते हो क्या, की "जब सूरज ढलने का समय हो तब तुम धीरे-धीरे बहना"

हाँ यार उन बगुलों आकाश में पंक्तियाँ बाँध-बाँधकर उड़ना हम सबों को अच्छा लगता है..
😍😍

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