काम के सताए
जो काम के सताए हुए होते हैं,
वे जैसे चेतन के समीप ठीक वैसे ही अचेतन के समीप भी, स्वभाव से दीन हो जाते हैं।
मुझे देखो..
न काम न काज दिन भर पड़ा रहता हूँ,
"आलस्य ने मुझे निगल लिया है" ये कहना अनुपयुक्त होगा,
"मैं आलस्य को निगल गया हूँ" ये कहना उपयुक्त होगा..
क्योंकि अजगर कभी किसी जानवर को निगलने के बाद ज्यादा दूर नही जाता आस पास ही कोई पेड़ ढूंढता है..
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