आज वो पहले जैसे बातें नही होती…


A Poem by Swarup Kumar and Rupam Pati
शीर्षक:- आज वो पहले जैसे बातें नही होती

कभी किया करते थे जिनसे दिल की हज़ारों बातें
आज वो सिर्फ बन कर रह गयी हैं पुरानी यादें,
अब वो यादें मुझे हर रात सोने नही देती
चेहरा सामने आता है और नींद दूर चली जाती।

अब तो वो हमे बनावटी हंसी पेश करती है
भरी महफ़िल में वो हमें पराया महसूस करती हैं,
रंगीन जिसने हमारी दुनिया की थी
वो ही आज इसे बेरंग महसूस कराती हैं।

क्यों किया करती हो ऐसी हरकतें
मुझसे अब और ये देखा नही जाता,
सच तो तुम कहती नही
और तुमसे तो झूठ भी बोला नही जाता।

चलो माना तुम्हारे नज़रों में मेरी कुछ गलतियां रही होंगी
अगर वो मेरी ही गलतियां थी तो कम से कम मुझे ही तो बता देती,
ये सच है कि कुछ गुनाहों की नही मिलती है माफी
पर यूँ नज़रंदाज़ करना भी तो हमे हिदायत नही देती।

लाख कोशिशों के बाद भी आज वो पहले जैसे बातें नही होती
कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं पर तुम सुनना ही नही चाहती,
आज मेरे हिस्से में यूँ खुशियां बिखर नही जाती
काश उस दिन आप हमें दिखाई ही नही देती…

                                               - स्वरूपम

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