दर्द दे

दर्द दे या चोट दे
तेरा हर सितम है मंज़ूर,

मगर ये देख कर भी
अनदेखी कर देना है नामंज़ूर..

                  :- रूपम

Comments

Popular posts from this blog

मैंने तुम्हें चाहा है…

चाहा

बिंदुवार