मैं आज भी ढूंढता हूँ
मैं आज भी तुम्हें इन यादों के सहारे ढूंढता रहता हूँ,
और ढूंढते-ढूंढते मेरा मन मुझसे कहता है कि
"मत ढूंढ उसे अब और,
वो आजकल पराए मुल्क में रहती है…"
बस इतना कहते कहते शांत हो जाता है फिर कुछ नही कहता…
"कहने को कुछ ना होना भी
दुखदायक ही है यादों के लिए…"
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