ये जालिम जमाना
इस स्थान में बेंत के हरे पेड़ के नीचे, मेरे साथ बैठना तुम…
तुम आकाश के मार्ग में अड़े
रुढ़िवादीयों के स्थूल उड़ते हुए आवाजों के आघात से खुद को बचाते हुए, मेरी ओर मुँह करके बैठे रहना…
ये जालिम जमाना हमें कभी मिलने नही देगी…
तुम आकाश के मार्ग में अड़े
रुढ़िवादीयों के स्थूल उड़ते हुए आवाजों के आघात से खुद को बचाते हुए, मेरी ओर मुँह करके बैठे रहना…
ये जालिम जमाना हमें कभी मिलने नही देगी…
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