चल देखता हूँ (व'सिष-रूपम)

रूपम
चल देखता हूँ,
किसका नशा जल्दी उतरता है…?

ये शराब का
या तेरी यादों का…

व'सिष
यादों का पैमाना हमेशा से भरा हुआ है
ये ख़त्म होने की चीज़ नहीं ।
मैखाना दस बजे बंद हो जाएगी
इसे रात भर खुली रहने की इजाज़त नहीं ।

रूपम
ये सरकारें
पीने नही देती हैं,

और समाज
प्यार करने नही देता…

Comments

Popular posts from this blog

मैंने तुम्हें चाहा है…

चाहा

बिंदुवार