उफ्फ रे मेघ
उफ्फ रे मेघ,
तुम बहुत देर से आए हो…
अब जाओ जा कर कालिदास का संदेश उनके प्रिया को दे आओ,
और पुनरागमन के समय मुझे बिजली चमकने से चकाचौंध हुई नागरी स्त्रियों के नेत्रों की चंचल चितवनों का सुख जो तुमने लूटा है उसका वृत्तांत बतलाते जाना…
और हाँ, ये तुम्हारे साथ चलने वाली ठंडी वायु जो सहसा सिहरन दे जाती है वो भी बताते जाने…
तुम बहुत देर से आए हो…
अब जाओ जा कर कालिदास का संदेश उनके प्रिया को दे आओ,
और पुनरागमन के समय मुझे बिजली चमकने से चकाचौंध हुई नागरी स्त्रियों के नेत्रों की चंचल चितवनों का सुख जो तुमने लूटा है उसका वृत्तांत बतलाते जाना…
और हाँ, ये तुम्हारे साथ चलने वाली ठंडी वायु जो सहसा सिहरन दे जाती है वो भी बताते जाने…
Comments
Post a Comment